जज्बे को सलाम: कैंसर से नहीं हारे किसान गया प्रसाद मौर्य, अब ड्रैगन फ्रूट की खेती हो रहे मालामाल लाखो की कमाई

ड्रैगन फ्रूट की खेती ने बाराबंकी के किसानों की किस्मत बदल दी है.
Dragon Fruit Cultivation in Barabanki: योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा बागबानी मिशन के तहत मिले अनुदान के बाद बाराबंकी जिले के किसान गया प्रसाद मौर्य ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के कारण चर्चा में हैं. यही नहीं, वह इस खेती की जरिए एक सीजन में 10 से 12 लाख का मुनाफा कमा रहे हैं. वहीं, ड्रैगन फ्रूट कई बीमारियों से लड़ने में भी मदद करता है. पढ़ें कैंसर से जुझ रहे सफल किसान की प्रेरणादायक कहानी
बाराबंकी. उत्तर प्रदेश में गैर पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने में जुटी योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा अनुदान मिलने के बाद बाराबंकी जिले में किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती बड़े पैमाने पर करने लगे हैं. बागबानी मिशन के तहत अनुदान मिलने के बाद जिले में इस फल की खेती शुरू करने वाले किसान लाखों रुपये का मुनाफा एक सीजन में कमा रहे हैं. बंपर मुनाफे के साथ यह फ्रूट स्वास्थ्य के नजरिए से भी काफी लाभकारी है. इसे पोषण का पावर हाउस भी कहा जाता है. एक्सपर्टस के मुताबिक, इसका सेवन करने से लोगों के शरीर पर बुढ़ापे का असर कम हो जाता है, क्योंकि ये डाइबिटीज, कोलेस्ट्रॉल और ह्रदय के रोगियों के लिए रामबाण दवा की तरफ काम करता है. इसके साथ इसका सेवन करने से प्लेटलेट्स भी बढ़ती हैं. भारत सरकार ने इसको कमलम फ्रूट नाम दिया है.
यूपी की राजधानी लखनऊ से सटे जिले बाराबंकी में जो किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं, उनमें किसान गया प्रसाद मौर्य इसके जनक कहे जाते हैं. बाराबंकी मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर दूर देवा शरीफ के पास मोहम्मदपुर बिशुनपुर गांव में प्रगतिशील किसान गया प्रसाद मौर्य ने तीन बीघे खेत में ड्रैगन फ्रूट की खेती की शुरुआत की थी, जो अब डेढ़ एकड़ तक फैल चुकी है. उन्हें प्रदेश सरकार की तरफ से बागबानी मिशन के तहत 30 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान भी मिला, जिसके बाद उनकी हिम्मत और ज्यादा मजबूत हुई. हालांकि 2011 में उन्हें कैंसर भी हुआ और दवाई में अच्छा खासा कर्ज भी हो गया, लेकिन इस बीमारी से बाहर निकलकर उन्होंने अपने ही गांव, अपनी मिट्टी में अवसर ढूंढे और आज धीरे धीरे उनके जीवन की रेल खुद की बनाई पटरी पर सरपट दौड़ रही है.
ड्रैगन फ्रूट की खेती ने बदली किस्मत
दरअसल ड्रैगन फ्रूट एक विदेशी फल है, ऐसे में बाराबंकी जिले में इसकी खेती काफी मुश्किल थी, लेकिन गया प्रसाद मौर्य के हौसले से उनकी और उनके परिवार की मेहनत रंग लाई. इसी का नतीजा है कि आज वह ड्रैगन फ्रूट की खेती करके बंपर मुनाफा कमा रहे हैं. साथ ही अन्य लोगों को इसकी खेती के टिप्स दे रहे हैं. खेती के साथ गया प्रसाद अब ड्रैगन फ्रूट के प्लांट भी लोगों को उपलब्ध करा रहे हैं. उनकी खेती देखकर आज जिले के कई और किसान भी ड्रैगन फ्रूट की खेती करने लगे हैं और लाखों रुपये लाभ कमा रहे हैं. सबसे बड़ी बात इस फसल में एक बार की लागत में 30 साल तक किसानों को लाखों का मुनाफा हर सीजन में मिलता रहता है.
किसान गया प्रसाद मौर्य ने बताए खेती के फायदे
किसान गया प्रसाद मौर्य ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट स्वाद में मीठा और ताजगी भरा होता है. आम तौर पर ये वियतनाम, श्रीलंका और चीन की खेती है, जो देश में सबसे पहले गुजरात के कच्छ में शुरू हुई थी. भारतीय बाजारों में इसकी कीमत 300 से 400 रुपये प्रति किलो के आसपास रहती है. ड्रैगन फ्रूट के पौधे जमीन में सीमेंट के खंबों के सहारे खेत में लगाए जाते हैं. इस पौधे को सिंचाई की भी ज्यादा जरूर नहीं पड़ती है. ड्रिप विधि के जरिये इसकी सिंचाई होती है. ऐसे में इसकी खेती किसी भी मौसम में नुकसानदायक नहीं है. उन्होंने बताया कि ठंडक के मौसम में इस फसल में फंगस लगने का थोड़ा डर रहता है, लेकिन वह भी जैविक खाद के छिड़काव के बाद खत्म हो जाता है. इसके साथ उन्होंने बताया कि ड्रैगन फ्रूट उगाने के लिए वह केमिकल, कीटनाशक और फर्टिलाइजर का प्रयोग नहीं करते हैं बल्कि जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट, नीम और गोमूत्र से बने कीटनाशक का प्रयोग करते हैं. साथ ही ड्रिप के माध्यम से सिंचाई ऑर्गेनिक ड्रैगन फ्रूट उगाते हैं.

गया प्रसाद मौर्य कैंसर से जूझते हुए भी बाराबंकी के किसानों को प्रेरणा दे रहे हैं.
हर साल हो रही 10 से 12 लाख की कमाई
गया प्रसाद मौर्य के मुताबिक, शुरुआत में एक एकड़ खेत में इसके पौधे लगाने में 4 से 5 लाख रुपये खर्च आता है.एक बार कड़ी मेहनत के बाद जब इसका पौधा तैयार हो जाता है, तो इसमें अगले साल से ही फल आने लगते हैं. इसके पौधे जून से लेकर दिसंबर तक फल देते हैं. बारिश के सीजन में फल ज्यादा आते हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि उन्होंने एक हजार पौधे गुजरात से मंगवाकर लगवाये थे. ड्रैगन फ्रूट के एक पौधे से 10 से 15 फल मिलते हैं. 200 से 500 ग्राम वजनी इन फलों की सीजन में 300 से 400 रुपये प्रति किलो की कीमत मिल जाती है और यह आसानी से खेत से ही बिक जाता है. इसको आगे व्यापारी 100 रुपये का एक फल तक बेच देते हैं. गया प्रसाद मौर्य ने बताया कि पहले साल उनकी लागत लगी और फिर उसके बाद बाकी सालों में केवल देखरेख का खर्च आता है. इस फसल में बंपर मुनाफा ही मुनाफा है. इस समय उन्हें 400 पोल पर लगे ड्रैगन फ्रूट के पौधों से एक सीजन में करीब 10 से 12 लाख का मुनाफा मिल रहा है.
जिला उद्यान अधिकारी ने कही ये बात
वहीं, बाराबंकी के जिला उद्यान अधिकारी महेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की जिले में शुरुआत जल्द ही हुई है. इस उन्नत खेती को किसान गया प्रसाद मौर्य के द्वारा किया जा रहा है. इनकी खेती को देखकर जिले के कई दूसरे किसान भी ड्रैगन फ्रूट की खेती अब करने लगे हैं. गया प्रसाद और उनके परिवार ने ड्रैगन फ्रूट की खेती कर किसानों को नई राह दिखाई है. इसके साथ उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार बागबानी मिशन के तहत ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिये किसानों को 30 हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान देती है. वहीं, किसान इस फसल को लगाकर बंपर मुनाफा कमा रहे हैं.
ड्रैगन फ्रूट के ये हैं फायदे
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ड्रैगन फ्रूट एक फल के साथ एक दवा भी है. एंटीऑक्सीडेंट, बसा रहित, फाइबर से भरपूर ड्रैगन फ्रूट में कैल्शियम, मैग्नेशियम, खनिज और आयरन के अलावा प्रचुर मात्रा में विटामिन सी और विटामिन ए भी पाया जाता है. अपनी इन्हीं खूबियों के कारण इसे सुपर फ्रूट भी कहा जाता है. इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है. इसके साथ ही शुगर के नियंत्रण और रोकथाम में भी इसे प्रभावी माना जाता है.
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