*370 करोड का* *महाकाल लोक घोटाला*
*जन जागृति संगम न्यूज़*
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देते हैं जो भगवान को धोखा, इंसा को क्या छोड़ेंगे 
*शिव "राज" के संज्ञान में हुआ घोटाला*
*लोकायुक्त ने 15 अधिकारीयो पर दर्ज किया प्रकरण*
*भ्रष्टाचारियों को बचा रहे हैं , उनको मलाईदार पोस्टिंग मिली*
*प्रतिवर्ष करोड़ों की दान राशि का कर रहे बंदरबांट*
*मूर्ति की उम्र मात्र 10 साल , तो क्या 10 साल बाद वहा पेड़ लगाएंगे*
उज्जैन। महाकाल लोक के निर्माण में 370 करोड़ का घोटाला हुआ है । अनाधिकृत समिति ने टेंडर की लागत को और शर्तों को मनमर्जी से परिवर्तित कर जमकर गोलमाल किया । शासन के संज्ञान में घोटाला आने के बाद भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है । यह आरोप प्रदेश कांग्रेस महासचिव और आरोप पत्र समिति के उपाध्यक्ष पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने लगाया ।
सकलेचा ने कहा कि लोकायुक्त ने जब 15 अधिकारियों पर प्रकरण दर्ज कर 21 अक्टूबर 22 को नोटिस दिया तो शिव "राज" ने कार्यवाही करने वाले लोकायुक्त के डीएसपी कैलाश मकवाना का 3 दिसंबर 22 को लोकायुक्त से तबादला कर दिया । जबकि उन्हें लोकायुक्त में पदभार ग्रहण किये मात्र 3 महीने ही हुए थे ।
सकलेचा ने कहा कि मूर्ति के चयन में कमलनाथ सरकार के समय बनाई गई डीपीआर मे परिवर्तन किया गया । जो मूर्ति अष्टधातु की बनना थी उसके स्थान पर उसे उसी दर मे निम्न धातु की बनाया । गुजरात के ठेकेदार को काम दिया । सकलेचा ने पूछा कि जब मूर्ति की उम्र मात्र 10 साल हैं, तो क्या 10 साल बाद वहां पर मूर्ति हटाकर पेड़ लगाएंगे ? महाकाल लोक के निर्माण में पारदर्शिता का अभाव है , तथा निर्धारित टेंडर प्रक्रिया का पालन किए बिना अनाधिकृत समिति ने बिना किसी वित्तीय अधिकार के निर्णय लिये है । जो भ्रष्टाचार की श्रेणी मे आते है ।सकलेचा ने कहा कि महाकाल लोक के निर्माण में शासन द्वारा स्वीकृत राशि के अलावा करोड़ों की राशि महाकाल मंदिर में दान में प्राप्त हुई राशि में से खर्च की गई , जोकि वित्तीय अनियमितता है ।
सकलेचा ने आरोप लगाया कि पूर्व राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद के 29 मई 2022 को भगवान श्री महाकालेश्वर जी के दर्शन हेतु पधारने पर दान से प्राप्त राशि मे से 89 लाख रुपए खर्च कर दान की राशि का दुरुपयोग किया गया । जो गंभीर अपराध है ।
अधिकारियों ने दान की राशि को भ्रष्टाचार का चरागाह बना लिया और अपनी वाही वाही के लिए दान की राशि का नियम के विपरीत उपयोग कर रहे है । मंदिर ट्रस्ट की धारा के अनुसार दान में प्राप्त राशि का उपयोग मंदिर के निर्माण में , श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए तथा कर्मचारीयो के हित मे , वेतन -भत्ते मे खर्च किया जा सकता है । अन्य कार्य के लिए किया जाने वाला उपयोग आर्थिक अपराध की श्रेणी में आता है ।
सकलेचा ने कहा कि इसके अलावा स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट में मंदीर की ओर से विभिन्न रूप से करोड़ों रुपए दिए गए जोकि अनुचित है वह कार्य स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत किया जाना था और मंदिर की दान से प्राप्त राशि का उपयोग नहीं किया जा सकता । स्मार्ट सिटी के लिए 11 भवनों के अधिग्रहण के लिए 13.9 करोड़ रूपया दिया गया तथा सड़क चौड़ीकरण हेतु भूमि अधिग्रहण के 1.04 करोड़ रूपया का भुगतान किया गया ।सकलेचा ने कहा कि उज्जैन विकास प्राधिकरण को फैसिलिटी सेंटर के निर्माण कार्य के लिए 7.14 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया तथा शेष राशि ₹16.76 करोड का भुगतान उज्जैन स्मार्ट सिटी लिमिटेड के द्वारा करने का प्रस्ताव पास किया गया । जबकि फैसिलिटी सेंटर का निर्माण शासन द्वारा स्मार्ट सिटी मद मे किया जाना था ।
प्रबंध समिति में अधिकांश शासकीय अधिकारी है , कलेक्टर समिति के अध्यक्ष है तथा इसमें अशासकीय सदस्य हर मिटीग मे बदल रहे है ।जनप्रतिनिधियों का सदस्य नहीं होने से कलेक्टर अपनी मनमानी कर रहे है । प्रशासनिक अधिकारी मंदिर की दान राशि का जमकर दुरुपयोग कर रहे हैं ।
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