निर्जला एकादशी का विशेष व्रत क्या है जानिये
जन जाग्रति संगम न्यूज
नीमच
डॉ बबलु चौधरी
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निर्जला एकादशी विशेष
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है. वहीं, सालभर में आने वाली 24 एकादशियों में निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठिन माना जाता है. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के शेषशयिया रूप की पूजा का विधान है. इस दिन बिना जल, अन्न और फलाहार के व्रत किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से सभी 24 एकादशियों जितना फल मिलता है निर्जला एकादशी के दिन पानी पीना तक वर्जित होता है, निर्जला एकादशी के दिन सुबह से ही अन्न और जल का त्याग करना पड़ता है पूरे दिन और रात अन्न और जल ग्रहण नहीं करना चाहिए दुसरे दिन द्वादशी को श्री हरि विष्णु भगवान की पूजा अर्चना कर ब्राह्मण या किसी गरीब को दान देकर व्रत या उपवास बिना फल या सादे भोजन के साथ तोड़ना चाहिए, धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं. साथ ही, इस दिन व्रत करने से भीम को दस हजार हाथियों जितने बल की प्राप्ति हुई थी, जिससे वे दुर्योधन पर विजय प्राप्त कर सका था. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये व्रत बाल, वृद्ध और रोगी व्यक्तियों को नहीं रखना चाहिए ।
लेकिन गर्मी के कारण अक्सर कई लोग बहुत ज्यादा प्यास लगने पर खुद को रोक नहीं पाते और पानी पी लेते हैं जिससे उनका व्रत टूट जाता है
अगर किसी व्यक्ति को व्रत के दौरान जल के बिना नहीं रहा जाता या फिर कोई बहुत ज्यादा प्राण संकट में आने वाली स्थिति हो जाती है तो ऐसे में एकादशी के दिन शाम के समय मंदिर से जल लाकर 12 बार 'ओम नमो नारायणाय' का जाप करें इसके बाद थाली में जल डालें और घुटने और बाजू को जमीन पर लगाकर पशुवत जल ग्रहण किया जा सकता है. ऐसे जल ग्रहण करने से व्रत भंग नहीं होता
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