*इंदौर की लोटस वैली में कमल की खेती:जलकुंभी से खत्म हो रहे फूल, प्री-वेडिंग फोटो शूट और बोटिंग की पसंदीदा जगह*

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इंदौर के हातोद स्थित करीब 300 एकड़ में फैली गुलावट लोटस वैली पर्यटकों का पसंदीदा स्पॉट है। यहां से देश के अलग-अलग राज्यों में कमल के फूलों की सप्लाई होती है। त्योहारी सीजन में कमल की डिमांड दोगुनी हो जाती है। झील में बोट से घूमने और फोटो शूट के लिए भी लोग यहां पहुंचते हैं।

गंभीर नदी पर बनी इस झील की सैर कर कमल के फूलों की खूबसूरती नजदीक से निहारना अलग ही अनुभव देता है। लोटस वैली में कन्याकुमारी और गोवा जैसा सन सेट व्यू बनता है। यहां के जंगल भी साउथ अफ्रीका और असम के जंगलों के जैसे हैं। लेकिन झील में जलकुंभी के कारण कमल खत्म हो रहे हैं। प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो लोटस वैली अपनी पहचान खो भी सकती है। जानिए, शहर की प्रसिद्ध लोटस वैली की खासियत...

गुलावट लोटस वैली से अलग-अलग राज्यों में कमल के फूलों की सप्लाई होती है।
नवंबर से फरवरी तक गुलजार रहती है वैली
इंदौर शहर से गुलावट लोटस वैली लगभग 27 किलोमीटर दूर है। प्राइवेट वाहन या टैक्सी के जरिए 1 घंटे में यहां पहुंचा जा सकता है। देवी अहिल्याबाई होलकर एयरपोर्ट से इसकी दूरी लगभग 17 किमी जबकि हातोद गांव से करीब 5 किलोमीटर है।
लोटस वैली घूमने का सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी महीने के बीच होता है। इस समय यह वैली कमल के फूलों से गुलजार रहती है। झील पर लगभग 150 मीटर लंबा एक पुल है, जहां से झील का नजारा देखते ही बनता है।

जून से मार्च तक कमल की खेती
गुलावट गांव को 15 साल पहले तक कोई नहीं जानता था लेकिन अब यह लोटस वैली के नाम से फेमस टूरिस्ट स्पॉट बन चुका है। गुजरात के दाहोद से लाकर इस झील में कमल के बीज डाले गए हैं। कमल की खेती से ग्रामीणों पर लक्ष्मी की कृपा बरस रही है। झील में सबका एरिया बंटा हुआ है। ग्रामीण अपने-अपने हिस्से के कमल निकालकर बाजारों में बेचते हैं।

झील में जून से मार्च तक कमल की खेती की जाती है। पहले यहां सफेद कमल थे, बाद में लाल कमल के बीज लाकर डाले गए। यहां के कमल मुंबई से लेकर मथुरा तक भेजे जाते हैं। त्योहारों पर गुजरात और छत्तीसगढ़ के शहरों में भी इनकी सप्लाई होती है।

गुलावट वैली की प्राकृतिक सुंदरता के कारण यह टूरिस्ट स्पॉट बन गई है।
प्री-वेडिंग फोटो शूट के लिए पसंदीदा लोकेशन
गुलावट लोटस वैली में ईको टूरिज्म डेवलपमेंट पर भी जोर दिया जा रहा है। कमल की खेती के साथ ही महिलाएं स्व सहायता समूह के माध्यम से रेस्टोरेंट का संचालन कर रही हैं। प्री-वेडिंग फोटो शूट के लिए आने वालों और पर्यटकों को यहां खान-पान की सुविधा मुहैया कराई जाती है। उनके लिए सेल्फी पॉइंट भी बनाए गए हैं।
इंदौर नगर निगम अधिकारियों के अनुसार, यशवंत सागर के आसपास 12 गांव हैं। यहां के लोग मछली पालन और कमल के फूलों की खेती करते हैं। आत्मनिर्भर और शिक्षित बनाने में मदद करने के लिए इन लोगों से कोई लीज रेंट नहीं लिया जाता।

जलकुंभी के कारण खत्म हो रहे कमल
ग्रामीणों ने बताया कि लोटस वैली में जलकुंभी सबसे बड़ी समस्या है। इसके कारण कमल के फूल खत्म होते जा रहे हैं। जंगल में लगे पेड़ भी सूख रहे हैं। यदि मिट्‌टी नहीं डाली गई तो जंगल खत्म हो जाएगा।

हालांकि, लोटस वैली में नगर निगम के गार्ड के साथ गांव वाले और नाव ग्रुप के मेंबर मौजूद रहते हैं। ये वैली में आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा के साथ अन्य व्यवस्थाएं मुहैया कराते हैं।

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जन जागृति संगम न्यूज : संपादक कमलेश राठौर 9302003334

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