*स्तन पकड़ना और पायजामे का नाड़ा तोड़ना रेप की कोशिश नहीं, HC का अजीबोगरीब फैसला*
जन जागृति संगम
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में फैसले का ऐलान करते हुए कहा कि पीड़िता के स्तनों को पकड़ना और पायजामे की डोरी तोड़ना रेप की कोशिश नहीं माना जा सकता। इसके बावजूद आरोपी के खिलाफ गंभीर आरोप जारी रहेंगे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक विवादास्पद मामले में अपना फैसला सुनाया, जिसमें तीन आरोपियों को रेप और रेप की कोशिश के आरोपों से कुछ हद तक राहत दी गई। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (बलात्कार) और POCSO अधिनियम की धारा 18 के तहत आरोप लगाए गए थे, जिन्हें कोर्ट ने घटा दिया।
इस केस में तीन आरोपियों आकाश, पवन, और अशोक के खिलाफ कासगंज में 2021 में एक 14 साल की लड़की के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप था। लड़की की मां ने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने लड़की के स्तनों को पकड़ने के साथ-साथ उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की और उसकी पायजामे की डोरी तोड़ दी थी। इसके बाद, लड़की की मदद करने आए दो व्यक्तियों को आरोपी धमकाकर मौके से फरार हो गए थे।
*हाईकोर्ट का फैसला*
दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की कि केवल पीड़िता के स्तनों को पकड़ना, उसके पायजामे की डोरी तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश करना खुद में रेप या रेप की कोशिश नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) के आरोपों को घटाकर धारा 354(b) (नंगा करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और POCSO अधिनियम की धारा 9/10 (गंभीर यौन हमला) के तहत आरोप लगाने का निर्देश दिया। साथ ही, निचली अदालत को नए सिरे से समन जारी करने का आदेश दिया।
सवाल: क्या इसे रेप की कोशिश माना जा सकता है?
इस मामले में उठाए गए सवालों में से प्रमुख यह था कि क्या लड़की के साथ हुई इस घटना को बलात्कार या बलात्कार की कोशिश माना जा सकता है? उच्च न्यायालय ने इस पर विचार करते हुए कहा कि हालांकि यह एक गंभीर अपराध था, लेकिन इसे रेप की कोशिश के तहत नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने यह भी माना कि आरोपियों ने लड़की के साथ जिस तरह की हरकतें कीं, वे यौन उत्पीड़न के गंभीर रूप थे, लेकिन रेप की कोशिश के रूप में इसे नहीं देखा जा सकता। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामले पर सख्त टिप्पणी कर चुका है।
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