*बिना पंचायत की अनुमति के कैसे बन गई बायोटेक कम्पनी* *सचिव का कहना नहीं दी अनुमति तो फिर किसने दी अनुमति* *पंचायत के अधिकारों का हनन करना या मिली भगत* *मामला आया संज्ञान मे जिला पंचायत सीईओ ने दिए जांच के आदेश*
जन जागृति संगम न्यूज:
मल्हारगढ़ जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत चंगेरी की आधिकारिक सीमा में बिना पंचायत की निर्माण अनुमति बिना एनओसी के बन गई टीपा बायोटेक कंपनी जो आज वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण का पर्याय बन चुकी है जब इसकी जानकारी कार्यालय ग्राम पंचायत चंगेरी सचिव से सूचना के अधिकार के माध्यम से जानकारी चाहिए गई तब उसमें अलग ही तथ्य उभर कर सामने आए जिसमें पंचायत सचिव के द्वारा अपने लेटर पैड पर जवाब बनाकर उल्लेख किया गया की टीपा बायोटेक कंपनी निर्माण क्या संबंध किसी भी प्रकार की अनुमति चंगेरी ग्राम पंचायत द्वारा नहीं दी गई है
तो फिर इतनी बड़ी कंपनी का निर्माण क्या भ्रष्टाचार के चलते किया गया है आखिर इसमें पूरा गोलमाल क्या है पंचायत सचिव बाबूलाल जाटव से जब इस संबंध में चर्चा की गई तब उन्होंने बताया कि अगर कंपनी के द्वारा ग्राम पंचायत से विधिवत तरीके से निर्माण अनुमति मांगी जाती तो पंचायत का तीन से चार लाख का टैक्स राजस्व के रूप में पंचायत को प्राप्त होता 🔥🔥🔥तो अब सोचने वाली बात यह है कि जब सचिव बाबूलाल जाटव को यह पता था कि उसकी ग्राम पंचायत चंगेरी के राजस्व सीमा के अंतर्गत बिना अनुमति के टीपा बायोटेक कंपनी का निर्माण चल रहा है
तब सचिन के द्वारा कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की गई क्यों ना उसने वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया क्यों पंचायत की राजस्व का नुकसान करवाया जबकि सचिव बाबूलाल जाटव को यह पता था बिना अनुमति निर्माण करना पंचायती राज धरा 55 की उप धारा एक का उल्लंघन होता है यह सब जानकारी होते हुए भी पंचायत सचिव बाबूलाल जाटों द्वारा संबंधित कंपनी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई💥💥💥💥💥💥
जब इसकी शिकायत जिला पंचायत सीईओ अनुकूल जी जैन से 30 सितंबर 2025 को मंगलवार की जनसुनवाई में की गई तब जाकर पूरा मामला जिला पंचायत सीईओ अंकुल जी जैन के संज्ञान में आया तब जाकर कम खोल दी जैन द्वारा 24 अक्टूबर 25 को संबंधित ग्राम पंचायत सचिव बाबूलाल जाटव द्वारा अपने कर्तव्य लापरवाही बरसाना एवं अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करना इसकी जांच के लिए जनपद पंचायत मल्हारगढ़ सीईओ को एक जाच प्रतिवेदन 24 अक्टूबर को भेजा गया अब देखना यह है की क्या जिले के वरिष्ठ अधिकारी वास्तव में सचिव बाबूलाल जाटव द्वारा की गई गलती को सुधारते हैं या संबंधित कंपनी के ऊपर कानूनी कार्रवाई कर राजस्व वसूल करते हुए कार्रवाई करते हैं कहीं ऐसा ना हो कि इन अधिकारियों को अवगत कराने के बाद भी लीपा पोती करने का काम किया जाए और इस मामले को भी याचिका के माध्यम से याचिका करता ज्ञानेश प्रजापति के द्वारा न्यायालय की शरण जाना पड़े वास्तविक सच्चाई के लिए क्योंकि कंपनी का जो निर्माण हुआ है उसकी अनुमति कितने वर्ग मीटर निर्माण की दी गई कितने वर्ग मीटर में कंपनी ने अपना निर्माण किया है यह भी एक जांच का विषय है💥💥💥💥💥💥 जनहित में जारी ज्ञानेश प्रजापति




टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें