*पूछा तुम पाकिस्तानी तो नहीं, पासपोर्ट दिखाया तब छोड़ा:किर्गिस्तान से रतलाम लौटा मेडिकल स्टूडेंट बोला- सोचा नहीं था, पढ़ाई छोड़कर आना पड़ेगा*
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रतलाम । 17 मई की रात कुछ स्थानीय और फॉरेन कंट्री के लोगों के बीच आपसी विवाद हुआ। मारपीट के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। इसके बाद लोकल लोग आक्रोशित हो गए। 18 मई को विवाद बढ़ गया। किर्गिस्तान के लोगों ने बाहर से आए लोगों को मारना शुरू कर दिया। हम भी डर गए। हमसे कहा गया कि फ्लैट से बाहर मत निकलना। एक बार लोकल लोग हमारे फ्लैट पर भी आए। पासपोर्ट चेक किया। पूछा- तुम्हारे पास कोई पाकिस्तानी तो नहीं है। हमने अपना पासपोर्ट दिखाया, तब छोड़ा। कॉलेज प्रबंधन ने इंडियन एंबेसी से संपर्क कर फ्लाइट का टिकट कराया। 24 मई की सुबह दिल्ली पहुंचे। वहां से रतलाम आया।’ यह कहना है रतलाम के रहने वाले पुष्पेंद्र सिंह चौहान का। वह किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में MBBS के फोर्थ ईयर के स्टूडेंट हैं। किर्गिस्तान से अपने वतन लौट परिवार के बीच आकर खुश हैं। वहां जो कुछ हुआ, वह अभी भी आंखों के सामने है। दैनिक भास्कर ने पुष्पेंद्र से बात की। उन्होंने खौफ के छह दिनों की दास्तां सुनाई।
*जानते हैं, उनकी जुबानी किर्गिस्तान की कहानी*
पुष्पेंद्र ने बताया, ‘किर्गिस्तान के इंटरनेशनल हायर ऑफ स्कूल मेडिसिन कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई कर रहा हूं। रतलाम के तीन से चार स्टूडेंट हैं। इसके अलावा, अलग-अलग कॉलेजों में 4500 भारतीय स्टूडेंट पढ़ते हैं। किर्गिस्तान के वोस्तो फाइव क्षेत्र में लोकल किर्गिस व इजिप्ट (अफगानी, पाकिस्तानी) लोगों के बीच मारपीट हुई। वीडियो वायरल हुए। अगले दिन विवाद बढ़ गया। उन्हें लगा कि इजिप्टियन आगे निकल जाएंगे। कुछ गलतफहमी भी सामने आई, जिससे विवाद बढ़ गया। जो बाहरी दिखता, उसे मारने लगे। शुरुआत में इंडियन लोगों को भी मारा, लेकिन भारतीय सरकार के हस्तक्षेप के बाद इंडियन को टारगेट नहीं किया। उनके टारगेट पर पाकिस्तानी थे।
उपद्रव बढ़ने पर कॉलेज प्रबंधन ने हमें बाहर निकलने से मना कर दिया। तीन दिन तक फ्लैट में अंदर ही रहे। जो भी सामान चाहिए रहता था, वह वॉट्सऐप ग्रुप में मैसेज करते थे, तो आ जाता था। ऑनलाइन क्लासेस के जरिए पढ़ाई करने लगे। फ्लैट में बंद रहने के दौरान मन में डर भी था। घर की चिंता भी सता रही थी, लेकिन मजबूरी थी कि अंदर ही रहना था। वह लोग पूछ-पूछ कर मार रहे थे।
मारपीट के वीडियो सोशल मीडिया के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी जारी किए गए, जिससे लोग दहशत में आते गए। विवाद बढ़ता गया। फ्लैट से बाहर निकलने की कोशिश भी की। 20 मई के बाद 15 मिनट के लिए बाहर निकले। 100 मीटर तक ही गए, वहां के टैक्सी वाले भी गाली देने लगे। घूर-घूर कर देखने लगे। डर के मारे फ्लैट में वापस आ गए। एक बार तो वह लोग फ्लैट में भी आ गए। मारपीट करने वाले लोग सीधे नाक पर वार करते थे। उनके हाथ बहुत मजबूत हैं। तीन, चार दिन तक लोकल टीचर्स मदद करते रहे।’ बेटे के घर लौटने के बाद परिवार में खुशी का माहौल है। बेटे के सुरक्षित लौटने पर माता-पिता ने भी राहत की सांस ली है। बेटे के घर लौटने के बाद परिवार में खुशी का माहौल है। बेटे के सुरक्षित लौटने पर माता-पिता ने भी राहत की सांस ली है। इंडियन एंबेंसी की मदद से आए । पुष्पेंद्र ने बताया, ‘कॉलेज मैनेजमेंट ने इंडियन एंबेंसी से संपर्क किया। इसके बाद कॉलेज प्रबंधन की पर्सनल फ्लाइट ऐंटो नोमार से 24 मई की सुबह 7 बजे का टिकट बुक कराया, जो डायरेक्ट दिल्ली के लिए थी। फ्लैट से 20 किमी दूर एयरपोर्ट था। सुबह फ्लाइट के समय के दो घंटे पहले एयरपोर्ट पहुंचे। वहां सिक्योरिटी बहुत थी। मेरे साथ तीन अन्य स्टूडेंट भी थे, जिनमें से दो नागदा के व एक राजस्थान के उदयपुर का है। उसी दिन सुबह 10 बजे दिल्ली एयरपोर्ट उतरे। वहां से शाम 4 बजे ट्रेन से रतलाम लौटा। भारत सरकार की मदद से सुरक्षित लौट आए। कॉलेज प्रबंधन ने भी ध्यान रखा। जैसे-जैसे टिकट बुक होती जा रही है, वैसे-वैसे स्टूडेंट भारत लौट रहे हैं। कॉलेज प्रबंधन ने अगस्त महीने में बुलाया है। एग्जाम होना है। उसकी तैयारी भी करनी है। तब तक ऑनलाइन क्लास लगेगी। वहां की स्थिति देख वापस लौटूंगा।’ रतलाम लौटने पर पुष्पेंद्र सिंह ने कैबिनेट मंत्री चैतन्य काश्यप से मुलाकात कर धन्यवाद दिया।
*2020 में लिया था एडमिशन*
पुष्पेंद्र ने 12th के बाद 2020 में एडमिशन लिया था। साल 2021 में कोरोना के कारण घर पर ही ऑनलाइन पढ़ाई की। इसके बाद लगातार बिश्केक में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। हर साल जून महीने के आखिर में वैकेशन पर रतलाम आते थे। 5 अक्टूबर 2023 को रतलाम से किर्गिस्तान गए थे। पुष्पेंद्र बताते हैं कि सोचा नहीं था कि पढ़ाई छोड़ बीच में ही आना पड़ेगा।
*बेटे के लौटने पर परिवार में खुशी का माहौल*
बेटे को पास देख पिता विजय सिंह चौहान, मां मनीषा चौहान व छोटा भाई की खुशी का ठिकाना नहीं है। पिता का कहना है कि भगवान का शुक्र है, बेटा सुरक्षित लौटा। जिस दिन मालूम पड़ा, उस दिन बहुत घबराहट हुई। रतलाम विधायक व मंत्री चैतन्य काश्यप को अवगत कराया, ताकि भारतीय सरकार तक बात पहुंच सके। बच्चों की सुरक्षित लाने की बात कही गई। उसके बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव व केंद्रीय मंत्री एस. जयशंकर ने संज्ञान लेते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अवगत कराया। जिस प्रकार से वहां के वीडियो देखे। लोकल लोग मारपीट कर रहे थे। मन में बड़ा डर था, जो हो रहा है, वह गलत है।
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