खुद को मरा साबित करने सहेली को रेलवे-ट्रैक पर फेंका:पत्थर से चेहरा बिगाड़ा, कॉलेज में अपने कपड़े पहनाए; ऐसी है धोखे की डरावनी कहानी

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विदिशा । डेढ़ महीने पहले विदिशा में रेलवे ट्रैक पर बुरी तरह जख्मी मिली छात्रा अस्पताल से घर आ गई, लेकिन वह अब भ बिस्तर पर लेटी रहती है।19 साल की गुनगुन मालवीय उर्फ नेहा को यह जख्म उसकी सहेली मुस्कान राजपूत ने दिए। मुस्कान की प्लानिंग गुनगुन को मारकर खुद को मृत साबित करने की थी। घटना वाले दिन से मुस्कान फरार है। पुलिस ने उस पर 10 हजार रुपए का इनाम घोषित किया है।


जब गुनगुन घायल मिली, उसके बदन पर मुस्कान के कपड़े थे। पर्स, आई कार्ड और पासपोर्ट साइज फोटो भी मुस्कान का था। एक सुसाइड नोट भी मिला था। नोट में नाम मुस्कान ‎और खुद की मर्जी से जाने की बात लिखी थी। गुनगुन का कहना है, मुस्कान ने कॉलेज में मेरे कपड़े पहने और अपने मुझे पहना दिए थे। मेरी बेस्ट फ्रेंड ने मुझे इस हाल में पहुंचा दिया.पहले गुनगुन के परिवार के बारे में जान लेते हैं…


विदिशा के तलैया मोहल्ला में पप्पू रजक रहते हैं। घर पर ही एक दुकान है, जहां वे लॉन्ड्री का काम करते हैं। चार बच्चे हैं। एक बेटा और तीन बेटियां। इनमें गुनगुन सबसे छोटी है, इसलिए सबकी चहेती भी है।


बैग में मिले नंबर पर पुलिस ने मुस्कान के भाई को कॉल किया


10 जून 2024। समय- सुबह 11.30 बजे। रेलवे ट्रैक पर पुलिस को गंभीर हालत में एक लड़की मिली। चेहरे, सिर और शरीर का कोई ऐसा हिस्सा नहीं छूटा जहां चोट के निशान नहीं थे।


रेलवे ट्रैक पर ही बैग और कुछ कपड़े पड़े मिले। बैग में एक सुसाइड नोट था। चेहरा बुरी तरह डैमेज किया गया था। आरोपी लड़की की पहचान मुस्कान के रूप में कराना चाहते थे। हुआ भी यही, लड़की की पहचान मुस्कान राजपूत के रूप में हुई। बैग में नंबर मिला।


डायल करने पर मुस्कान के भाई ने फोन उठाया। वह परिजन के साथ मेडिकल कॉलेज पहुंचा। भाई ने मेडिकल कॉलेज में गंभीर रूप से घायल लड़की को देखकर कहा- यह तो उसकी बहन मुस्कान नहीं है। पुलिस के लिए भी यह बात हैरान करने वाली थी।


सवाल उठा, आखिर इतनी गंभीर हालत में मिली लड़की मुस्कान नहीं है, तो फिर कौन है लड़की के पास मुस्कान का बैग, कपड़े और सुसाइड नोट कहां से आया? पुलिस ने पड़ताल की तो गुनगुन रजक का नाम सामने आया। पता चला गुनगुन और मुस्कान के बीच गहरी दोस्ती है। पुलिस ने गुनगुन के परिजनों तक सूचना पहुंचाई और उन्हें मेडिकल कॉलेज आने को कहा।शिनाख्त नहीं होने पर गुनगुन के परिवार को बुलाया


गुनगुन के परिवारवालों को भी लड़की को दिखाया गया, चेहरे के अलावा शरीर का ज्यादातर हिस्सा सफेद पट्‌टी से कवर था, इसलिए पहचान पाना थोड़ा मुश्किल हो रहा था। काफी देर तक देखने के बाद बहन की नजर पैर पर पड़ी। उसने पैर पर बंधे काले धागे और उस दिन उसके द्वारा लगाई गई नेल पॉलिश से उसकी पहचान हुई।


लड़की की पहचान तो हो चुकी थी, लेकिन अब पुलिस के सामने सवाल खड़ा था कि आखिर ये गुनगुन है तो फिर मुस्कान कहां है? मुस्कान की सारी चीजें गुनगुन के पास कैसे आईं। इस सवाल का जवाब गुनगुन दे सकती थी, लेकिन वह जिंदगी के लिए जंग लड़ रही थी।


पुलिस के सवालों के जवाब मिलते, इसके पहले ही गंभीर हालत होने से गुनगुन को भोपाल के एम्स अस्पताल रेफर कर दिया गया। 8 दिन इंतजार के बाद गुनगुन को कुछ देर के लिए होश आया। गुनगुन ने भी मुस्कान के बारे में पूछा और फिर बेसुध हो गई।


18 दिन तक गुनगुन का भोपाल में ही इलाज चलता रहा। इसके बाद डॉक्टरों ने उसे घर लेकर जाने की परमिशन दे दी। गुनगुन घर तो आ गई, लेकिन यहां भी उसे बिस्तर पर ही रहना पड़ रहा है।


घटना के डेढ़ महीने बाद भी गुनगुन की हालत में ज्यादा सुधार नहीं है। उसे हर काम के लिए सहारे की जरूरत पड़ रही है। वह तो खुद से उठकर बैठ तक नहीं सकती है। परिवार वाले भी बस इसी बात की दुआ कर रहे हैं कि बेटी जल्दी से पुरानी वाली गुनगुन हाे जाए।अचानक मेरे पीछे आई और सिर पर किसी भारी चीज से मारा


गुनगुन ने बताया, ‘10 जून को सुबह मुस्कान स्टेडियम से सीधे मेरे घर आई थी। उसने कहा- कॉलेज चलेंगे, इसके बाद अपने घर चली गई। 10 बजे वापस मेरे घर आई। 20 मिनट बाद हम दोनों एक्टिवा से कॉलेज के लिए निकले। कॉलेज में हमने एग्जाम का पूछा और रोल नंबर के बारे में जानकारी ली।


हम घर से निकलने वाले थे कि मुस्कान ने कहा- स्पोर्ट्स के लिए अर्जेंट में मुझे एक फोटो शूट करना है। फोटो के लिए मेरे कपड़े अच्छे नहीं है, तू अपने कपड़े दे दे। हम-दोनों में काफी समानता है। मैंने उसकी बात मान ली और कॉलेज में ही एक कमरे में जाकर कपड़ों की अदला-बदली कर ली।


कॉलेज से निकलकर हम दोनों को स्टेडियम जाना था, लेकिन गाड़ी मुस्कान ने ली। वह स्टेडियम की जगह मुझे कलेक्ट्रेट वाले रास्ते पर लेकर गई। सुनसान जगह में उसने गाड़ी रोक दी। मैंने उससे पूछा- मुस्कान हमें तो स्टेडियम चलना था, फिर यहां क्यों आए। उसने जवाब दिया- फोटो शूट यहीं करना है। इतना कहने के बाद वह गाड़ी से उतरी और रेलवे ट्रैक तरफ झाड़ियों में चली गई। वह किसी का इंतजार कर रही थी।


काफी देर हो जाने पर मैंने उससे कहा- मैं घर निकल रही हूं। उसने कहा- थोड़ी देर रुक। उससे घर जाने का कहते हुए, वहां से निकलने लगी। वह अचानक मेरे पीछे आई और सिर पर किसी भारी चीज से वार कर दिया। सिर पर मारने से मैं बेहोश हो गई। इसके बाद मुस्कान ने क्या किया, मुझे कुछ पता नहीं। जब होश आया, तो मैं अस्पताल में थी।'गुनगुन और मुस्कान की दोस्ती 10th क्लास से...


19 साल की गुनगुन ने बताया, ‘मैं बीए सेकंड ईयर की छात्रा हूं। मुझे इसी हाल में मेरी बेस्ट फ्रेंड मुस्कान राजपूत ने पहुंचाया है। वह मेरे साथ कॉलेज में है और उसी ने मेरी मौत की प्लानिंग की थी।’


गुनगुन कहती है, ‘10वीं में मैंने कोचिंग जाना शुरू किया। मुस्कान भी कोचिंग आती थी। यहां नोट्स को लेकर कभी-कभार बात हो जाया करती थी। 11वीं में मैंने एक्सीलेंस स्कूल में एडमिशन लिया, मुस्कान भी यहीं पर पढ़ती थी। हम दोनों ने ही आर्ट्स सब्जेक्ट चुना था, इसलिए धीरे-धीरे हम दोनों में गहरी दोस्ती हो गई। मैं साइकिल से स्कूल जाया करती थी। कई बार मुस्कान भी मेरे घर आ जाती थी, हम दोनों साथ में चले जाया करते थे। यहीं से हम दोनों ने साथ में 11वीं और 12वीं पास की। इसके बाद गर्ल्स कॉलेज में एडमिशन लिया। पक्की दोस्ती होने से जब भी कॉलेज जाते, एक-दूसरे से बात कर लिया करते थे। मुस्कान मेरे घर आ जाया करती थी, यहां से हम दोनों मेरी एक्टिवा से कॉलेज जाते थे।

’गुनगुन ने बताया, ‘मुस्कान तो उसके यहां अक्सर आती थी, लेकिन उसे मुस्कान के घर जाने का ज्यादा मौका नहीं मिला। एक बार वह मुस्कान के एक रिलेटिव की शादी में गई थी। एक बार उसके साथ हैंडबॉल की टीम शामिल होने पर भोपाल गई थी।’


मुस्कान के पिता का देहांत हो चुका है


गुनगुन ने बताया कि मुस्कान मोहन गिरी में रहती है। मुस्कान चार-भाई बहन हैं, जिनमें वह तीसरे नंबर की है। उसके पिता आर्मी में थे, जिनका देहांत हो चुका है। मुस्कान एनसीसी और स्पोर्ट्स में थी, उसके पास कई खिलाड़ियों के फोन आते थे। वह अक्सर यहां-वहां जाती थी, लेकिन मेरी दोस्ती घर और कॉलेज तक ही उसके साथ ही

टिप्पणियाँ

जन जागृति संगम न्यूज : संपादक कमलेश राठौर 9302003334

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