*ठगो ने इंजीनियर से ठगे 25 लाख* *किया डिजिटल अरेस्ट खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का DG बताया, वीडियो कॉल की, डिटेल्स लीं, प्री-अप्रूव्ड लोन लेकर पूरा बैलेंस किया साफ*
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*सॉफ्टवेयर इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट कर 25 लाख लूटे:पुलिस बनकर वीडियो कॉल की, डिटेल्स लीं, प्री-अप्रूव्ड लोन लेकर पूरा बैलेंस ट्रांसफर किया*
राजस्थान के जोधपुर में साइबर ठगों ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट करके 25 लाख रुपए लूट लिए। ठग ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का DG बताया और 3 घंटे तक डिजिटली अपनी गिरफ्त में लिए रहे।
इंजीनियर के खाते में 6 लाख रुपए थे। उसकी प्रोफाइल में ICICI बैंक से 19 लाख रुपए का लोन प्री-अप्रूव्ड था। ठगों ने लोन ओके किया 25 लाख रुपए अलग-अलग दो खातों में ट्रांसफर कर लिए। ठग ने उसे नसीहत भी दी कि अपना बैंक अकाउंट ब्लॉक करवा लो, नहीं तो साइबर फ्रॉड हो सकता है।
पीड़ित युवक के पिता से जाना कि उन तीन घंटे में क्या-क्या हुआ…
जोधपुर के महामंदिर इलाके में रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर अंकित देवड़ा (30) के पास 19 अगस्त की सुबह 10 बजे अनजान नंबरों से 2 से 3 बार कॉल (वॉयस) आए थे। फोन करने वाले ने कहा- आपका नामअंकित देवड़ा है? आपका आधार नंबर 3315 ******** है? अंकित ने हामी भरी।
कॉलर ने कहा- मैं मुंबई से क्राइम ब्रांच का DG बोल रहा हूं। कोई पास में तो नहीं है। एकांत में जाओ और बात करो। तुम मुश्किल में फंस चुके हो। तुम पर केस हो सकता है।
आधे घंटे में अरेस्ट हो सकते हो... कहकर दबाव बनाया
अंकित घबराकर घर के कमरे में गया। रूम को अंदर से लॉक करके कॉलर (खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का DG बताने वाले) से बात करने लगा। कॉलर ने कहा- तुम्हारा आधार नंबर मुंबई में कोई इमरान नाम का तस्कर यूज कर रहा है। तुम्हारे नाम से एयरपोर्ट पर एक पार्सल रोका है। इसमें MD ड्रग, पांच पासपोर्ट, 2 लैपटॉप, 3 क्रेडिट कार्ड हैं। ऐसा लग रहा है कि तुम इंटरनेशनल तस्करी में शामिल हो। आधे घंटे में पुलिस तुम्हारे घर पर होगी और तुम्हें अरेस्ट कर लिया जाएगा।
उसने (कॉलर) अंकित को भरोसा दिलाने की कोशिश की कि वह उसकी मदद करना चाहता है। इसके बाद अंकित को स्काइप ऐप डाउनलोड करने को कहा। उससे कहा गया कि आपको वीडियो कॉल के जरिए हमसे जुड़े रहना होगा ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके।
कॉलर ने कहा- मुंबई आना होगा
वॉयस कॉल कटने के बाद फौरन स्काइप ऐप पर वीडियो कॉल आया। खुद को DG बताने वाले ने अंकित से कहा- बेंगलुरु में जिस इलाके में आपकी कंपनी है, उस इलाके में भी आप पर पांच क्रिमिनल केस दर्ज हैं। अगर आप क्रिमिनल नहीं हैं और बचना चाहते हैं तो आपको मुंबई आना होगा। यहीं (मुंबई) हम आपसे आगे की पूछताछ करेंगे।
अंकित ने कहा- मैं इस वक्त बेंगलुरु में नहीं हूं। मैं अपने होम टाउन जोधपुर आया हुआ हूं। मैं मुंबई नहीं आ सकता। कॉलर ने कहा- ठीक है। अब कुछ देर आपको वीडियो कॉल पर ही बने रहना होगा ताकि हम अपनी कार्रवाई पूरी कर सकें।
बैंक से संबंधित सारी जानकारी आने के बाद छोड़ दिया
कॉलर ने कहा- आपके बैंक से अवैध लेनदेन की सूचना है। हमें चेक करना होगा कि इस बात में कितनी सच्चाई है। आप अपनी छह महीने का बैंक (ICICI) स्टेटमेंट दीजिए। अंकित ने वीडियो कॉल के दौरान ही नेट बैंकिंग (मोबाइल पर) के जरिए बैंक स्टेटमेंट निकाला।
इस दौरान अंकित के फोन को साइबर ठगों ने रिमोट एक्सेस पर ले रखा था। इसी का फायदा उठाकर कॉलर ने अंकित के नेट बैंकिंग के पासवर्ड और आईडी चुरा लिए। कॉलर का ग्रुप लगातार अंकित के फोन को एक्सेस कर रहा था। उन्हें अंकित के खाते में प्री-अप्रूव्ड लोन का ऑफर दिखा। बैंक से जुड़े सारे डिटेल कॉलर ग्रुप के पास आ चुके थे। उन्होंने अंकित को छोड़ दिया।
खाते से पैसे निकल गए, भनक तक नहीं लगी
20 अगस्त की दोपहर 1:17 बजे अंकित के खाते (ICICI) से 2 लाख, 1:18 बजे 17 लाख और 1:19 बजे 6 लाख 83 हजार 335 रुपए निकाले। मतलब तीन मिनट के अंदर कुल तीन ट्रांजेक्शन में 25 लाख 83 हजार 355 रुपए निकाल लिए। अंकित के पास इस दौरान किसी भी तरह का न कोई कॉल आया, न ही OTP। किसी तरह का मैसेज भी नहीं आया था। अंकित अपने खाते से निकाली गई रकम को लेकर अनजान था।
ऑनलाइन ट्रांजेक्शन नहीं देख पाया
21 अगस्त की शाम 5 बजे अंकित के मोबाइल पर फिर से कॉल (वॉयस) आया। कॉलर ने कहा- आपके खाते से साइबर ठगी की आशंका है। जल्दी से अपना अकाउंट ब्लॉक करवा लो। अंकित ने तत्काल अकाउंट ब्लॉक करवा दिया। ठगों ने ऐसा इसलिए किया कि अंकित वापस अपने बैंक का ट्रांजेक्शन न देख पाए। अकाउंट ब्लॉक कराने के बाद अंकित ने ठगी की आशंका को देखते हुए 21 अगस्त को ही बैंक की ऐप के जरिए अपना ट्रांजेक्शन देखना चाहा। अकाउंट ब्लॉक होने के चलते वह ट्रांजेक्शन देख नहीं पाया।
अकाउंट बैलेंस जानने के लिए अंकित ने बैंक के टोल फ्री नंबर पर कॉल किया। यह जानकारी वह हैरान रह गया कि उसके अकाउंट से 3 बार के ट्रांजेक्शन में 25 लाख (17 लाख, 2 लाख और 6 लाख 43 हजार) से ज्यादा निकाल लिए गए हैं। अंकित ने कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव से कहा- मेरे अकाउंट में तो 6 ही लाख थे। फिर ये 25 लाख कैसे हो गए? 19 लाख कहां से आए? कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव ने बताया- आपने 19 लाख का लोन लिया है। इसी रकम को किसी और खाते (केनरा बैंक में 2 लाख और कोटक महिंद्रा में 2383000) में ट्रांसफर कर लिया गया है। बैंक से अकाउंट ब्लॉक कराने से पहले ये ट्रांजैक्शन हुए हैं। इसके बाद अंकित को खुद के साथ हुई धोखाधड़ी का अहसास हुआ। इसके बाद 26 अगस्त को अंकित ने महामंदिर थाने में मामला दर्ज कराया।
2 मिनट में मिलता है प्री अप्रूव्ड लोन
SBI प्रबंधक क्षितिज गौड़ बताते हैं- SBI और अन्य बैंकों से बैंक जाए बिना भी लोन मिल जाता है। ये प्री अप्रूव्ड लोन की सुविधा है, जो 2 प्रकार की होती है। इसमें बिजनेस या पर्सनल लोन उपलब्ध करवाए जाते हैं। इसमें आपको OTP के जरिए लोन दे दिया जाता है। इसके बाद सिर्फ 2 से 3 मिनट के अंदर लोन अमाउंट खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है। उन्होंने बताया इसमें ट्रांजैक्शन के आधार पर लोन का अमाउंट तय किया जाता है।
सिबिल के आधार पर मिल सकता है लोन
ICICI बैंक के लोन सेक्शन को हैंडल करने वाले एक अधिकारी का कहना है कि प्री अप्रूव्ड लोन ऐसे कस्टमर के लिए होता है, जिनका सिबिल अच्छा होता है। उनको एक OTP पर उनके सिबिल के आधार पर लोन दिया जा सकता है। बता दें कि अंकित की सैलरी 6 लाख महीना है। ऐसे में बैंक 19 लाख का लोन अमाउंट नॉर्मल मानती है।
नई लोकेशन, महंगी गाड़ियों की पोस्ट पर ठगों की नजर
साइबर एक्सपर्ट अंकित चौधरी कहते हैं- ऐसे ठग सोशल मीडिया के जरिए अपना शिकार ढूंढते हैं। ये सोशल मीडिया लाइक्स और उनकी लाइफस्टाइल पर नजर रखते हैं। लगातार उनकी लोकेशन को ट्रैक करते हैं। कहां-कहां घूमने गया है और कौन सी नई-नई गाड़ियों में घूम रहा है। ठग डार्क वेब से निजी जानकारियां चुराते हैं। डार्क वेब एक ऐसी जगह है, जहां से आपकी निजी जानकारियां ले लेते हैं।
बड़ा अमाउंट आया हो तो सावधान हो जाएं
साइबर एक्सपर्ट चौधरी बताते हैं कि हाउस अरेस्ट या डिजिटल अरेस्ट के मामले आजकल ज्यादा हो रहे हैं। ये उन लोगों के साथ होता है, जिनके पास हाल ही में लोन का अमाउंट आया हो। या फिर पेंशन का भारी अमाउंट आया हो। इनके निशाने पर वो लोग भी होते हैं जिनके अकाउंट में बड़ा ट्रांजैक्शन हुआ हो।
उन्होंने कहा- अपने ऑनलाइन अकाउंट को प्राइवेट रखें। लाइव लोकेशन या कहीं जाएं तो वहां की लोकेशन शेयर करने से बचें। इसके साथ ही, कोई भी आपको KYC रिन्यू करने या बैंक से जुड़ी कोई भी जानकारी अपडेट करने के लिए कॉल करें तो बिना घबराए पुलिस से मदद लें।
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