*लोन दिलाने के नाम पर रूपये लेकर ठगी करने वाले आरोपी को 3 वर्ष का सश्रम कारावास*इधर_ *जिला विधिक सहायता अधिकारी के शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न करने वाले 2 भाईयों को 2-2 वर्ष का कारावास*देखें दोनो खबरे👇
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*लोन दिलाने के नाम पर रूपये लेकर ठगी करने वाले आरोपी को 3 वर्ष का सश्रम कारावास*
नीमच। श्रीमती स्वागिता पूर्णेश श्रीवास्तव, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, नीमच द्वारा लोन दिलाने के नाम पर फरियादीगण से रूपये व चैक लेकर ठगी करने वाले आरोपी मोहित पिता नंदकिशोर पारवानी, उम्र-24 वर्ष निवासी-278, विकास नगर 14/04, जिला नीमच को धारा 420 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत 3 वर्ष के सश्रम कारावास व 10,000रू. अर्थदण्ड से दण्डित किया।
प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी करने वाले एडीपीओं श्री राजेन्द्र नायक द्वारा घटना की जानकारी देते हुए बताया कि अपै्रल-मई 2021 की अवधि में आरोपी द्वारा जारोली काम्पलेक्स नीमच में एमपी फायनेंस के नाम से कार्यालय संचालित करते हुए अखबार के माध्यम से लोन दिलाने हेतु विज्ञापन प्रकाशित करवाया था। इसी अवधि में कई लोग लोन लिये जाने हेतु आरोपी के कार्यालय में उपस्थित हुए, जिसमें से आरोपी द्वारा फाईल चार्ज व कमीशन के नाम पर फरियादी महिपाल चौहान से 11600रू, दयानंद से 15500रू, बलराम से 15000रू, यशवंत से 20000रू, रवि से 3360रू, रूबिनाबानों से 10,000रू नगद एवं हस्ताक्षरित चैक प्राप्त कर लिये। आरोपी द्वारा उक्त व्यक्तियों को कोई लोन नहीं दिलवाया गया व कुछ समय पश्चात् ज्ञात हुआ की आरोपी फर्जी व्यक्ति हैं, जो कि लोन दिलाने के नाम पर पैसे लेकर धोखाधडी कर रहा हैं। फरियादी ने घटना की रिपोर्ट पुलिस थाना नीमच केंट पर की जिस पर से अपराध क्रमांक 336/21 के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध की गई। विवेचक एएसआई कैलाश सौलंकी द्वारा विवेचना के दौरान आरोपी को गिरफ्तार कर आवश्यक दस्तावेजी साक्ष्य एकत्रित कर अनुसंधान उपरांत अभियोग पत्र नीमच न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
प्रकरण के विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से न्यायालय में फरियादी व अन्य पीडित व्यक्तियों सहित सभी आवश्यक गवाहों के बयान कराते हुए अपराध को प्रमाणित कराकर वर्तमान में आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों के प्रति बढते हुए इस प्रकार अपराधों को देखते हुए आरोपी को कठोर दण्ड से दण्डित किये जाने का निवेदन किया गया, जिससे सहमत होकर न्यायालय द्वारा आरोपी को उपरोक्त दण्ड से दण्डित किया गया। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी श्री राजेन्द्र नायक, एडीपीओ द्वारा की गई।
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*जिला विधिक सहायता अधिकारी के शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न करने वाले 2 भाईयों को 2-2 वर्ष का कारावास*
नीमच। श्रीमती डॉ. रेखा मरकाम, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, नीमच ने न्यायालय में पदस्थ जिला विधिक सहायता अधिकारी के कार्यालय में घुसकर शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न करने वाले 2 भाईयों (1) प्रमोद पिता सज्जनलाल खण्डेलवाल एवं (2) अनिल पिता सज्जनलाल खण्डेलवाल, दोनों निवासीगण-फतेह चौक, बघाना, जिला नीमच को भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की विभिन्न धाराओं में दोषसिद्ध पाते हुए धारा 353 में 2-2 वर्ष के कारावास एवं अर्थदण्ड के दण्ड से दण्डित किया।
प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी करने वाले एडीपीओं श्री पारस मित्तल द्वारा घटना की जानकारी देते हुए बताया कि जिला विधिक सेवा प्रधिकरण, नीमच के जिला विधिक सेवा अधिकारी सुभाष चौधरी ने आरक्षी केंद्र नीमच केंट पर रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि दिनांक 10.11.2014 को दोपहर 2 बजे वे अपने कर्तव्य पर उपस्थित थे और उस समय श्रीमती प्राची पति प्रमोद जोकि उसके पति से तलाक के विषय पर परामर्श एवं विधिक सलाह हेतु स्वेच्छा से कार्यालय में आई थी, तभी उसका पति प्रमोद एवं उसका जेठ अनिल अंदर आ गया और प्राची द्वारा लाये गये एक लिखित दस्तावेज एवं 500 मुल्य के कोरे स्टॉम्प को फरियादी से छीनकर उसमें से स्टॉम्प को फाडकर उसके टुकडे कर दिये और अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए गाली-गलोच करने लगे और फरियादी को अश्लील गालियां दी और कहने लगे की प्राची को भडका रहे हो, तब फरियादी द्वारा समझाने पर दोनों भाई नहीं माने और फरियादी के हाथ में लिये दस्तावेज बलपूर्वक छीनकर स्टॉम्प फडाकर फरियादी के मुंह पर फेक दिये और शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न की एवं फरियादी को जान से खत्म करने की धमकी दी। प्रकरण में पुलिस ने अपराध पंजीबद्ध कर अनुसंधान उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया। जहां पर आरोपीगण के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 447, 353, 294 एवं 506 के आरोप विरचित किये गये और आरोपीगण का विचारण किया गया। प्रकरण के विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से न्यायालय में फरियादी सहित सभी आवश्यक गवाहों के बयान कराते हुए अपराध को प्रमाणित कराकर न्यायालय परिसर के अंदर स्थित शासकीय कार्यालय में पदस्थ शासकीय अधिकारी के साथ किये गये उक्त अपराध की गंभीरता को देखते हुए आरोपीगण को कठोर दण्ड से दण्डित किये जाने का निवेदन किया गया, जिससे सहमत होकर न्यायालय द्वारा आरोपीगण भादवि की धारा 447 में 3-3 माह का साधारण कारावास एवं 500-500रू अर्थदण्ड, धारा 353 में 2-2 वर्ष का साधारण कारावास एवं 1000-1000रू अर्थदण्ड, धारा 294 में 3-3 माह का साधारण कारावास एवं 500-500रू अर्थदण्ड एवं धारा 506 में 6-6 माह का साधारण कारावास एवं 1000-1000रू अर्थदण्ड से दण्डित किये जाने का दण्डादेश पारित किया गया। न्यायालय ने आरोपीगण को दण्डित करते हुए निर्णय में यह लेख किया की महिलाओं के साथ बढते हुए अत्याचार को देखते हुए शासन ने विभिन्न कानून बनाये हैं तथा विधिक सहायता प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त हैं, किंतू जब कोई महिला विधिक सहायता प्राप्त करना चाहती हैं तो उसे सहायता देने वाले अधिकारी के साथ यदि ऐसा अपराध गठित होता हैं तो समाज की सामाजिक व्यवस्था भंग होती हैं और विधिक सेवा प्रधिकरण का कार्यालय न्यायालय परिसर के अंदर हैं, जहां न्यायालय में लोग न्याय प्राप्त करने आते हैं और गांव की चौपाल पर भी लोगों को कहते हुए सुना जाता हैं कि किसी भी अधिकार के हनन होने पर या अत्याचार होने पर कहां जाता हैं कि हम न्यायालय के शरण में जायेगें और ऐसी स्थिति में यदि न्यायालय परिसर के अंदर ही ऐसे अपराध होते हैं तो वे अत्याधिक निंदनीय एवं अशोभनीय हैं। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी श्री पारस मित्तल, एडीपीओ द्वारा की गई।
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