*सन 1818 मे मुगल व अंग्रेजो ने जावरा का नाम दिया, अब जावरा का नाम परिवर्तित कर सनातन आधारित नाम होना चाहिए* *महामंडलेश्वर 1008 मधुसूदनानंद महाराज का विचार मत*
*जन जागृति संगम न्यूज़*
*जगदीश राठौर* *9425490641*
रतलाम जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर मां अन्नपूर्णा धाम सेमलिया पहाड़ी पर 2 वर्षों से रुद्र चंडी यज्ञ
कर रहे महामंडलेश्वर 1008 स्वामी मधुसूदनानंद महाराज ने तीसरे वर्ष भी यज्ञ जारी रखने का संकल्प लिया हैं। उन्होंने जावरा के नाम बदलने की बात कही हैं। इसके अनेक आधार बताएं तथा सनातन आधारित नया रखने की मांग की।
रविवार को बयान जारी करते हुए महामंडलेश्वर मधुसूदनानंदजी महाराज ने कहा
कि बाहर से आने वाले भक्त जावरा नाम का अर्थ व इतिहास पुछते हैं जबकि जावरा नाम का कोई अर्थ ही नहीं हैं वहीं इतिहास में तो अंग्रेजो व मुगलों द्वारा जावरा नाम रखने की जानकारी हैं, इसलिए अब जावरा नाम को बदलकर सनातन पर आधारित नाम नाम रखने की आवश्यकता हैं। उन्होंने सामाजिक संस्थाओं व सनातन समर्थक राजनेताओं से अपील की हैं कि जावरा का नाम बदलने के लिए वे प्रयास शुरू करें। जावरा का नाम बदलने की मांग के आधार बताते हुए महामंडलेश्वर स्वामी मधुसूदनानंदजी महाराज ने कहा जैसे उज्जैन नाम का उल्लेख शास्त्रों में हैं। रतलाम का नाम वहां के महाराजा रतनसिंह के नाम पर आधारित हैं वैसे ही जावरा का भी अर्थ होना चाहिए। सनातन धर्म में नामकरण संस्कार का बहुत महत्व है हर नाम की अपनी एक ऐतिहासिक सांस्कृतिक पहचान होती है बाहरी लोगो के द्वारा थोपे गये नाम बदलना चाहिए
500 वर्ष पहले इस क्षेत्र में मेवाड़ से आए सोलंकी ठाकुरों का राज हुआ करता था उसके बाद होल्कर, अंग्रेजों व मुगलों का शासन रहा। 1818 में अंग्रेजों व होल्करों के बीच युद्ध में जो संधि हुई तब इस क्षेत्र को मुगल रियासत जावरा का नाम दिया था इसलिए जावरा नाम का कोई स्पष्ट अर्थ भी नहीं हैं, वहीं शासन के रिकार्ड अंग्रेजी में JAORA जाओरा लिखा जाता हैं। यानि हिंदी और अंग्रेजी दोनों में नाम बदला हुआ हैं। तीन अक्षर का नाम होने से अंक ज्योतिष के अनुसार भी ये सही नहीं हैं।
शास्त्रों में उल्लेख विक्रमादित्य की नगरी व महाकाल वन क्षेत्र की सीमा यहां जावरा तक थी । ये क्षेत्र महाकाल वन क्षेत्र की बाउंड्री में शामिल हैं। जैन समाज के दादागुरु राजेंद्रसूरिश्वरजी महाराज की क्रियोद्धार स्थली भी यही क्षेत्र हैं। ऐसे में अब समय आ गया हैं कि जावरा का नाम बदलकर सनातन आधारित नाम रखना चाहिए। सामाजिक संस्थाए, सनातन समर्थक राजनेताओं को जावरा का नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू करना चाहिए।
महामंडलेश्वर 1008 मधुसूदनानंद महाराज सर्वकल्याण, विश्व शांति के लिए यहां सेमलिया पहाड़ी पर स्थित मां अन्नपूर्णा धाम पर यज्ञ अनुष्ठान कर रहे हैं।
चमत्कारी माता आदिशक्ति
अन्नपुर्णा देवी का शक्ति पीठ सेमलिया धाम में चल रहे रुद्र चंडी महायज्ञ को अब तीसरा वर्ष शुरू हो रहा हैं।
महाराज श्री मधुसुदानंद जी का संकल्प है की जब तक इसकी वैज्ञानिक सिद्धता और अनुसंधान खोज पूर्ण न हो जाए ये यज्ञ करता रहूंगा। साथ ही ईश्वर की शक्ति का अनुभव जनमानस को हो अन्नपूर्णा माता अन्न की देवी है इसके दर्शन से सब ऋण से मुक्ति मिलती है यहां पर बारह ज्योतिर्लिंग चार धाम नवग्रह मंदिर हनुमान मंदिर गुरुकुल गोशाला के निर्माण कार्य प्रगति पर है साथ ही यहाँ दो वर्षो से अखंड भंडारा भोजन प्रसादी का भी चल रहा हे उल्लेखनीय है कि सेमलिया धाम अन्नपूर्णा पीठ आज देश में विख्यात हो गया है पुरे देश भर से हजारों श्रद्धालु यहां आकर माताजी के दर्शन कर महामण्डलेश्वर का आशीर्वाद लें चुके हैं। स्वामीजी इस स्थल को देश में सनातन धर्म का आदर्श स्थल शक्तिपीठ बनाना चाहते हैं।
पहले जावरा का नाम गुलशनआबाद था अब भी यही नाम रखे तो अच्छा लगेगा मतलब भी अच्छा है
जवाब देंहटाएंइतिहास तो कालो के काल श्री महाकाल जागनाथ महादेव का हे इसलिए जागनाथ नगरी होना चाहिए
जवाब देंहटाएंभारत में सबसे पुराना इतिहास केवल सनातनियो का ही है जैसा कि नाम से ही पता चलता हे।तो फिर जावरा का इतिहास अलग केसे हो सकता हे
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