*मप्र सरकार गैर लाभकारी संस्था प्राइवेट स्कूलों से 300 करोड़ से अधिक राजस्व वसूलेगी*
जन जागृति संगम न्यूज़ 9302003334
मप्र के इतिहास में पहली बार सरकार मान्यता शुल्क , सुरक्षा निधि और रजिस्टर्ड किराया नामा अन्य शुल्क अर्थदंड की आड़ पर 300 करोड़ का लगभग राजस्व वसूलेगी।
एक स्कूल पर 80 हजार से 1 लाख से ऊपर का दबाव बनेगा।
मप्र 30600 स्कूलों में सिर्फ 50 से 100 स्कूलों की गलती की आड़ पर मप्र के 30600 स्कूलों पर सख्त नियमों को लागू करना सरकार के लिए कहां तक न्याय संगत है।
40 सालों से अधिक समय से शिक्षा के क्षेत्रों में सेवा देने वाले स्कूलों पर अस्तित्व का संकट छा गया है।
आर टी ई की राशि दो दो साल विलंब से देने पर स्कूलों पर पहले आर्थिक संकट गहराया है।
2016 से 2022 तक तकनीकी समस्याओं के कारण कितने बच्चों की आर टी ई राशि का भुगतान नहीं किया है इस विषय पर कोई संज्ञान नहीं लेना न कोई कार्यवाही करना। और राज्य शिक्षा केंद्र के अधिकारी इन पैसा को भूल जाने की बात करते है।
पुस्तक ड्रेस में जो स्कूल अभिभावकों पर दबाव बना रहे है उन पर सख्त कार्यवाही करें। हम ऐसे स्कूलों का साथ प्राईवेट स्कूल वेलफेयर संचालक मंच मप्र रजिस्टर्ड संस्था कभी साथ नहीं देगी।
पालक संघ पूरे मप्र एक सिलेबस की मांग क्यों नहीं करता है हम उनके इस फैसले में साथ है। क्यों पालक संघ पूरे मप्र में 4 से 5 ड्रेस कोड की मांग नहीं करता। जो सभी मार्केट में उपलब्ध होगी। जिस स्कूल को जो पसंद हो उसका चयन कर सकता हैं।
पालक संघ जब स्कूलों को डेढ़ से दो दो साल आर टी ई का पैसा प्राईवेट स्कूलों को लेट मिलता है तो क्यों आवाज बुलंद नहीं करता है।
पालक संघ क्यों इस वर्ष 2024 के आर टी प्रवेश नीति में बच्चों की सीट कम कर दी तो क्यों आवाज बुलंद नहीं किया।
हम स्वीकार करते है हमारे बीच के कुछ स्कूल जिन्हें उंगलियों में गिना जा सके जो फीस बढ़ोत्तरी में , किताब व ड्रेस में अभिभावकों पर दबाव बनाते है उन पर सरकार कार्यवाही करें। हम साथ नहीं देंगे।
हम प्राईवेट स्कूल वेलफेयर संचालक मंच मप्र उन संचालकों की आवाज बनकर आगाज कर रहे है कि मप्र सरकार की शिक्षा पालिसी भिन्नता है सरकार ग्रामीण स्कूलों की तुलना संभागीय स्कूलों से एक मापदंड एक नियमावली के आधार पर करती है। क्या यह न्याय संगत है।
जिस स्कूल की संख्या 260 है और जिस स्कूल की संख्या 2500 है दोनों को 4 हजार वार्षिक दर से तीन साल का 12 हजार देना है।
जिस स्कूल की संख्या 100 से 250 के लगभग है और जिस स्कूल की संख्या 2500 है दोनों को 40000 सुरक्षा निधि जमा करनी है। क्या यह न्याय संगत है।
मप्र में 30600 स्कूलों में 80% प्रतिशत स्कूल जो किराए के भवन संचालित है जो शिक्षा प्रदान कर रहे है। अब सरकार अपने राजस्व और लाभ के चक्कर में बड़े स्कूलों को लाभ दिलाने ओर सी एम राइज स्कूलों को बढ़ाने के लिए ऐसे 80% प्राईवेट स्कूलों पर रजिस्टर्ड किराया नामा का एक शस्त्र फेंका गया है जो अचूक है जिस कारण अधिकांश स्कूलों की मान्यता का खतरा बढ़ गया है। ओर सरकार भी यही चाहती है।
मप्र प्राईवेट स्कूल वेलफेयर संचालक मंच द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि जैसे पहले से चला आ रहा है कि हम कोई सुरक्षा निधि जमा नहीं करेंगे और न ही रजिस्टर्ड किराया नामा लगाएंगे। हम नोटरी कृत किराया नामा ही लगाएंगे। सरकार करे 18 हजार स्कूल की मान्यता समाप्त। हम अब दमनकारी शिक्षा नीतियों का सहयोग नहीं करेंगे।
हम हाई कोर्ट ओर सुप्रीम कोर्ट तक सरकार की दमनकारी नीतियों को लेकर जायेंगे।
आज मप्र में शिक्षा में प्राईवेट स्कूलों का महत्वपूर्ण स्थान है। हम आगे भी शिक्षा का महत्व मप्र में बढ़ाना चाहते हैं पर कैसे सरकार की दमनकारी नीतियों के साथ हम कार्य करे।
डायवर्टेड जमीन होगी और रजिस्टर्ड किराया नामा होगा तभी बच्चे पढ़ पाएंगे नहीं तो कुछ पढ़ नहीं पाएंगे सीख नहीं पाएंगे। यह कैसी पालिसी है।
सरकार खुद के स्कूलों को तो सुधार नहीं पा रही हैं और जो हमारे प्राईवेट स्कूल बेहतर परिणाम दे रहे है उन्हें बंद करने की पालिसी चल रही है। रोज किसी न किसी न्यूज में पेपर यह खबर आ ही रही हैं कि आज यह शिक्षक दारू पीकर स्कूल गया। दो कमरे में लग रही 5 क्लास ओर एक टीचर पढ़ा रहा है 5 क्लास ओर आज टीचर एक घंटे पहले स्कूल की छुट्टी कर ताला लगाकर चल दिया ऐसे रोज सरकारी स्कूलों की सुविधाओं का व्यवस्थाओं का पता चलता है।
अभी अभी तो बच्चों द्वारा अपने टीचर को गोली मारने ओर चाकू मारने की खबर तक सामने आई है।।
संचालक मंच सरकार से निवेदन करता है पहले तो मान्यताओं को तीन चरणों में बाट दिया जाए। तीनों चरणों के स्कूलों की फीस और क्षेत्रों के आधार पर एक वार्षिक शुल्क का निर्धारण कर हम स्कूल संचालकों से लीजिए।
रजिस्टर्ड किराया नामा और सुरक्षा निधि समाप्त करें।
मान्यता नियमों में शिथिलता प्रदान करे जिससे शिक्षा का व्यापक प्रसार प्रचार हो सके।
हम पालक संघ के साथ बैठक कर शीघ्र ही इस विषय पर चर्चा मप्र में बेहतर शिक्षा का महत्व बढ़े और परिणाम आए। जो गलत है जो सहयोग नहीं करेगा उस वैधानिक कार्यवाही हो।
*प्राईवेट स्कूल वेलफेयर संचालक मंच मप्र*
सिर्फ प्राइवेट स्कूलों से राजस्व बढ़ाना सरकार का उद्देश है शिक्षा से कोई लेना देना नहीं।
जवाब देंहटाएं