*शराफत से इनके पैसे वापिस करो वरना कलेक्टर भू-अधिकारी पर FIR दर्ज होगी जबलुपर हाईकोर्ट*
जन जागृति संगम
मध्य प्रदेश के विंध्य संभाग को मुख्य रेल लाइन से जोड़ने के लिए 1996 में 504 क.म की ललितपुर - सिंगरौली रेल परियोजना बनी।
2016 में रेलवे ने ₹6600 करोड़+/- अप्रोव किए।
इस परियोजना में सीधी-सिंगरौली ज़िले में ज़मीन अधिग्रहण में अधिकारियों ने खुल कर धांधली की। उद्घाटन के कुछ दिनों बाद सीधी सिंगरौली जिले में रूट बदल दिया गया।
आदिवासी की ज़मींन पर पंडित जी को मालिक बता, तो पंडित जी कि जमींन पर भू माफ़िया को हितग्राही बना कर मुआवजा दे दिया गया।
एक एक प्लॉट पर 22 हितग्राही, तो खाली जमींन को पक्का घर बता कर करोड़ों में मुआवजा वसूला गया।
करप्शन का आलम यह था कि परियोजना का बजट ₹6,600 +/- करोड़ से बढ़कर ₹8,600+/- करोड़ हो गया। और लगभग 2000 हितग्राही बढ़ गए।
जब एक कलेक्टर ने करप्शन को लेकर चिट्ठी लिखी तो एक हफ्ते के अंदर उसकी पनिशमेंट पोस्टिंग कर दी गई।
सिंगरौली जिले के देवसर तहसील के शास्त्री द्विवेदी की जमीन पर किसी और को ₹10 लाख+/- का मुआवजा दे दिया गया।
यह हाल सिर्फ़ एक परियोजना का है, सिंगरौली जिले में अभी आधा दर्जन परियोजनाओ के लिए भूमि अधिग्रहण हो रहा है।
जब यह मामला जबलपुर हाई कोर्ट बेंच के पास पहुँचा तो तो जज साहब ने कहा...शराफत से इनके पैसे वापिस करो वरना कलेक्टर/भू-अधिकारी पर FIR दर्ज होगी।
ऐसे दर्जनों पिटीशन हाई कोर्ट में पेंडिंग है।
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