*जब जब अत्याचार होता है क्रांति जन्म लेती है ! आपातकाल का खूनी पंजा.......जगदीश सूर्यवंशी*
जन जागृति संगम न्यूज
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25 जून वर्ष 1975 को भारत में आपातकाल की घोषणा की गई थी उस समय की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने 25 जून 1975 को इमरजेंसी आज ही के दिन लागू की थी आज इमरजेंसी को लागू हुई 50 वर्ष हो गए जब आपातकाल कि घोषणा हुई उस वक्त की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय में संविधान को मात्र एक कागज का टुकड़ा बनाकर रख दिया गया था इमरजेंसी के दौरान 1,20,000 लोग गिरफ्तार हुए थे
डेढ़ लाख झुग्गी झोपड़ियां पर इंदिरा गांधी ने अपने खूनी पंजे से झुग्गी झोपड़ियां तोड़ी थी दिल्ली शहर के अंदर कुच कर झोपड़ी तोड़ी थी उस समय एक करोड़ 10 लाख नसबंदी जबरन की गई थी 25000,962 कर्मचारियों को जबरन रिटायर्ड किया गया था इस आपातकाल का मकसद था भारत में सिर्फ और सिर्फ़ कांग्रेस पार्टी का ही शासन हो और गांधी परिवार को हमेशा के लिए सत्ता में स्थाई रूप से बना दिया जाए
इंदिरा गांधी का खूनी पंजा पूरे भारत में आतंक मचा रहा था ऐसे में कई लोग जगह-जगह इमरजेंसी की विरोध में उतरे और उन्हें जिन्होंने विरोध किया उन्हें जबरन जेल में डाल दिया लेकिन जब जब अत्याचार होते हैं तो क्रांति जन्म लेती है जब-जब अत्याचार होते हैं क्रांति जन्म लेती है जब जब अत्याचार होते हैं क्रांति जन्म लेती है जब-जब अत्याचार होते हैं क्रांति जन्म लेती है चाहे रुस की क्रांति हो चाहे फ्रांस की क्रांति हो या भारत की आजादी की क्रांति हो जब-जब अत्याचार होते हैं क्रांति पैदा होती है आपातकाल के दौरान जयप्रकाश नारायण जैसे देश के वरिष्ठ जनसेवक को जबरन रोका गया साथ ही वर्तमान देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को उनकी मां के स्वर्गवास होने पर उनकी अंतिम यात्रा में भी शामिल नहीं होने देकर रोका गया अटल जी पर अत्याचार अरुण सारी, जॉर्ज फर्नांडिस, लाल कृष्ण आडवाणी जैसे कई बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं को जबरन जेल में ठोस दिया गया था उस आपातकाल को देश कैसे भूल सकता है लाखों लोगों की जबरन नसबंदी करना, जबरन कर्मचारियों को रिटायर्ड करना इतना अत्याचार तो अंग्रेजों ने भी नहीं किया था जिस प्रकार से आपातकाल में देशवासियों पर अत्याचार किया गया !
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